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Showing posts from October, 2021

Good or Bad

 आप किसी को अच्छा मत बनाओ कोई फायदा नहीं होगा उतना ही बुरा कहीं ना कहीं उत्पन हो जाएगा कोई फायदा नहीं होगा l सिर्फ लोगों को समयावस्था   (equilibrium) मे अर्थात शून्य के पास लाओ ना अच्छा ना बुरा लोगों को अच्छे से बुरा या बुरे से अच्छा बनने की कोई जरूरत नहीं है उन्हें जरूरत है सिर्फ शून्य के पास होने की ना अच्छा ना बुरा equilibrium मे होने की l यही उनको यही उनको inner peace दे सकता है और कोई नहीं जितना दुःख होगा उतना ही सुख होगा और जितना सुख होगा उतना ही दुख दोनों एक दूसरे के opposite होते हैं दोनों का sum शून्य होगा l इसलिए इनसे बचा नहीं जा सकता दो ही उपाय है या तो दोनों को enjoy करो या फिर शून्य अवस्था मे रहने का प्रयास करो Everything is balanced around zero. 💐 You don't make someone good, there will be no benefit, equally bad will arise somewhere, there will be no use.  Only bring people in equilibrium, that is, near zero, neither good nor bad.  People don't need to be from good to bad or from bad to good, they just need to be near zero, in equilibrium with ne...

Balance of happiness and sorrow

 Everything is balanced around zero. जब हम मीठा खाते हैं तो उसके बाद मन को नमकीन खाने की जरूरत पड़ती है क्यु की इससे balance मिलता है उसी तरह सुख का भोग करने के बाद मन दुःख ढूँढता है क्यु की इससे ही संतुलन होगा l गौतम बुद्ध के पिता जी ने उनको सब सुख सुविधा उपलब्ध करायी परंतु अंत मे बुद्ध ने सब कुछ छोड़ कर कठिन दुख को अपनाया और जब सब सुख और दुख बराबर हो गया वो शून्य हो गए अर्थात nirwan को प्राप्त हो गए  सुख की चाह मे हम दुःख से कभी नहीं बच पायेगे So enjoy both 💐 Everything is balanced around zero.  When we eat sweet, after that the mind needs to eat salty because it gives balance, in the same way after enjoying happiness, the mind seeks sorrow because it will balance it.  Gautam Buddha's father provided him all the comforts, but in the end Buddha left everything and adopted the difficult sorrow and when all the happiness and sorrow became equal, they became zero i.e. attained to nirwan.  In the pursuit of happiness, we will never be able to escape from sorrow. ...

Ultimate Truth

        परम सत्य  Zero (शून्य) is ultimate truth. Everything created from शून्य. As sum of +5 and - 5 is zero.  0=+5-5 जैसे शून्य से सारे नंबर बनते हैं और सबका sum शून्य होता है शून्य से Infinite no. बनते है जैसे कि यह univers Infinite हैl जिस प्रकार किन्ही दो नंबर के बीच मे Infinite नंबर डाल सकते हैं और उसमे अनंत तरह की Mathmetical calculations कर सकते हैं  उसी प्रकार इस ब्रम्हांड मे अनंत क्रियाएं है जिनमे अनंत सम्भावनायें है जिनसे भौतिक और रासायनिक नियमो की रचना होती रहती है l शून्य से बनी हुई संख्याओं से बड़ी बड़ी और जटिल Mathmetical calculation होती है और गणित का बहुत विस्तृत क्षेत्र तैयार हो जाता है जिनमे ना खत्म होने वाली Mathmetical प्रोसेस चलती ही रहती है उसी प्रकार इस ब्रम्हांड मे अनंत क्रियाएं चलती रहती है जिनकी खोज मे विज्ञान सदैव लगा रहता हैl परंतु जिस प्रकार Math का क्षेत्र अनंत है और उसमे लगातार नियम बनते रहेगे उसी प्रकार विज्ञान का भी क्षेत्र अनंत रहेगा और उसमे नियम बनते बिगड़ते रहेगे यह कभी खत्म नहीं होगा l और इसी प्रकार शून्य से इस अनं...

Reborn

 पुनर्जन्म आपका नहीं आपकी इच्छाओं का होता है l Your's desires are reborn not you. 

सामजिक नियम ( Social Rools)

 जिस प्रकार पिता के द्वारा किए गए अपराधों की सजा उसके उत्तराधिकारी(पुत्रों पुत्रियों ) को नहीं दी जा सकती है उसी प्रकार पिता की भौतिक संपत्तियों को उसके मरने के बाद उसके पुत्रों को स्थान्तरित नहीं किया जाना चाहिए l पिता जब तक चाहे अपने जीवनकाल मे अपनी स्वेच्छा से अपने द्वारा अर्जित संपत्तियों को अपने पुत्रों पुत्रियों और अपने चाहने वालों पर खर्च कर सकता है परंतु उनके मरने के बाद उनकी संपत्तियों का बड़ा हिस्सा सरकार द्वारा अधिकृत कर लेना चाहिए और उसको निम्न श्रेणी के लोगों के स्वास्थ्य और शिक्षा के विकास के लिए खर्च करना चाहिए l  यह नियम समाज मे ना केवल अर्थिक समानता को बढ़ायेगा बल्कि इसके होने से समाज के उच्च लोग अपने चाहने वालों के लिए कई पीढियों के लिए अतिरिक्त धन नहीं जुटाएंगे जिससे समाज मे भ्रस्टाचार भी कम होगा l सभी छोटे बच्चे को शिक्षा और स्वास्थ्य पर समान अधिकार होना चाहिए उसके शिक्षा और स्वास्थ्य पर उसके मां पिता की आर्थिक स्थित का असर बिल्कुल नहीं होना चाहिए l